वो वक़्त ना जाने क्यों बेसहारा था,
अन्धेरो में उम्मीदो ने दिया सहारा था,
जैसे डुबते हुए नाव को मिला कोई किनारा था,
ज़िन्दगी का सार अब जा कर समझ आया था।
अन्धेरो में उम्मीदो ने दिया सहारा था,
जैसे डुबते हुए नाव को मिला कोई किनारा था,
ज़िन्दगी का सार अब जा कर समझ आया था।
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